
“घरौंदा की आड़ में भ्रष्टाचार का खेल होने की संभावना?”
दिव्यांग बच्चों के नाम पर संचालित संस्था पर गंभीर सवाल, जांच की मांग तेज़
मनेन्द्रगढ़, छत्तीसगढ़।
जिला मुख्यालय मनेन्द्रगढ़ शहर में समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित ‘घरौंदा’ नामक संस्था को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
संस्था का संचालन दिव्यांग (मानसिक रूप से विकलांग) बच्चों के देखरेख और संरक्षण के उद्देश्य से किया जा रहा है, किंतु इसके संचालन में भारी अनियमितताओं और संभावित भ्रष्टाचार की शंका है।
मनेंद्रगढ़ चैनपुर नेशनल हाईवे रोड के समीप एक ‘घरौंदा’ संचालित हैं जो कि बालिकाओं के लिए और दूसरा बालकों के लिए, जो वेयरहाउस कार्यालय के सामने स्थित है।
आश्चर्य की बात यह है कि बगल में ही जिला पंचायत कार्यालय और अन्य प्रशासनिक कार्यालय हैं, फिर भी निगरानी में कमी क्यों?
सूत्रों का दावा — सिर्फ नाम के लिए चल रहा है संचालन
सूत्र बताते हैं कि इस संस्था में पंजीकृत बच्चों की देखभाल, पोषण, चिकित्सा परीक्षण आदि कागजों में तो दर्शाया गया है, लेकिन वास्तविकता में बच्चों को किस स्तर का भोजन, स्वास्थ्य परीक्षण और देखभाल मिल रही है, इस पर कई सवाल उठ रहे हैं।
वित्तीय पारदर्शिता पर भी संदेह
सूत्रों के अनुसार, संस्था के संचालन में तीन साल में दो करोड़ से अधिक की राशि खर्च की गई है। परंतु उस राशि का उपयोग किस प्रकार और किन मदों में हुआ, यह जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है।
“घरौंदा में कुछ तो काला है”
स्थानीय नागरिकों और जागरूक लोगों का कहना है कि यदि संस्था में सब कुछ पारदर्शी और नियमों के अनुसार होता, तो संबंधित दस्तावेज और जानकारी छिपाई क्यों जाती? कहीं ना कहीं गड़बड़ी जरूर है।
गुप्त रूप से संचालन बोर्ड और संस्था का नाम नहीं
संस्था के बाहर बोर्ड संस्था के नाम, पंजीयन क्रमांक, संस्था के संचालक का नाम और मोबाइल नंबर दर्ज होना चाहिए जो कि कहीं दिखाई नहीं देता, इन सभी बातों से ऐसा प्रतीत होता है कि संस्था को गुप्त तरीके से चलाया जा रहा है।
बाल कल्याण के नाम पर खेल
सूत्रों का यह भी कहना है कि समाज कल्याण विभाग के कई अधिकारी जानकारी देने से कतराते हैं। जब एक सरकारी संस्था पारदर्शिता से जानकारी देने को तैयार नहीं, तो यह साफ संकेत है कि बाल संरक्षण और दिव्यांग कल्याण के नाम पर फाइलों में योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर स्थिति भिन्न है।
समाज में रोष, जांच की मांग
विश्व संवाद द्वारा ‘घरौंदा’ की वास्तविकता पर प्रकाशित रिपोर्ट (पार्ट वन) के बाद यह मुद्दा अब तूल पकड़ने लगा है। जब यह खबर संबंधित अधिकारी तक पहुंचाई गई, तो उन्होंने जांच का आश्वासन तो दिया, लेकिन अब देखना यह है कि जांच निष्पक्ष होगी या लीपापोती।
निष्कर्ष
‘घरौंदा’ जैसी संवेदनशील संस्था का उद्देश्य दिव्यांग बच्चों की सेवा और सुरक्षा है। लेकिन यदि इसमें भी भ्रष्टाचार का घिनौना खेल खेला जा रहा है, तो यह समाज के सबसे कमजोर वर्ग के साथ अन्याय है। उच्च अधिकारियों से इस मुद्दे पर संज्ञान लेकर सख्त कार्रवाई की मांग है।
विश्व संवाद लगातार इस मुद्दे पर परत-दर-परत खबरें प्रकाशित करता रहेगा।
घरौंदा पार्ट 3 में दस्तावेजो के साथ खबर होगी प्रकाशित