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- छात्रावास में छात्र से बर्बरता की घटना: 150 से अधिक चोटों के निशान।
अधीक्षक पर गंभीर लापरवाही के आरोप
एमसीबी/मनेंद्रगढ़।
मनेंद्रगढ़ विकासखंड अंतर्गत खोंगापानी नगर पंचायत स्थित शासकीय आवासीय बालक छात्रावास में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। छात्रावास में रहने वाले छात्र अनुज पर उसी हॉस्टल के तीन छात्रों ने डंडों से बेरहमी से हमला कर दिया। छात्र के शरीर पर 150 से अधिक चोटों के गंभीर निशान पाए गए हैं, जो इस अमानवीयता और छात्रावास की लचर व्यवस्था का सीधा प्रमाण है।
अधिकारियों की चुप्पी और अधीक्षक की गैरहाजिरी पर सवाल
स्थानीय लोगों और छात्र के परिजनों ने छात्रावास अधीक्षक को इस घटना के लिए सीधे जिम्मेदार ठहराया है। आरोप है कि अधीक्षक केवल वेतन लेने के समय आते हैं और छात्रावास के संचालन और बच्चों की सुरक्षा से उनका कोई लेना-देना नहीं है। यह पहली बार नहीं है, जब छात्रावासों में लापरवाही और बच्चों के शोषण की खबरें सामने आई हों।
छात्रावास की हालत बदतर: खाने से लेकर सुरक्षा तक संकट
पूर्व में भी लगातार शिकायतें मिलती रही हैं कि छात्रावासों में बच्चों को समय पर अच्छा भोजन नहीं मिलता, अधीक्षक और उनके परिवारजन बच्चों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं, और कई बार अधीक्षकों के परिजन भी नियमों को ताक पर रखकर छात्रावास में रह रहे होते हैं। कन्या छात्रावासों में महिला अधीक्षकों के पतियों के अवैध निवास की शिकायतें भी सामने आ चुकी हैं, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती।
RTI से उजागर हुए दस्तावेज, फिर भी कार्रवाई नदारद
इस मामले में करीब 15 दिन पहले सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग (MCB) को RTI के माध्यम से दस्तावेजों के साथ शिकायत की गई थी। अधिकारियों ने जांच समिति गठित करने का आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक न तो कोई सूचना आई और न ही कोई कार्रवाई की गई। यह दर्शाता है कि प्रशासन ऐसे मामलों को महज औपचारिकता मान कर टाल देता है।
टेंडरबाजी में उलझे अधिकारी
यह भी गंभीर आरोप हैं कि छात्रावासों में सस्ते सीजन में महंगे सामान खरीदे जाते हैं, एक ही राइटिंग में फर्जी बिल तैयार कर खर्च दिखाया जाता है। विभागीय अधिकारी इन शिकायतों को सुनने की जगह टेंडरों में व्यस्त हैं। यह सरकारी धन का दुरुपयोग और बच्चों के अधिकारों के साथ सरासर धोखा है।
प्रश्न उठते हैं कि –
क्या आदिवासी विकास विभाग केवल कागजों में रह गया है?
क्या अधिकारियों को बच्चों की सुरक्षा से कोई सरोकार नहीं?
आखिर RTI और शिकायतों का जवाब देने में क्यों लापरवाही बरती जाती है?
यह पूरी घटना यह सोचने पर मजबूर करती है कि जब सरकारी संरक्षण में चल रहे छात्रावासों में ही बच्चे सुरक्षित नहीं हैं, तो उनकी शिक्षा और जीवन का भविष्य किसके भरोसे छोड़ा जा सकता है? यदि समय रहते इन मुद्दों पर कठोर कार्रवाई नहीं की गई, तो यह लापरवाही और भ्रष्टाचार बच्चों के जीवन को निगलता रहेगा।
ज़रूरत है तत्काल कार्रवाई की, निष्पक्ष जांच की और दोषियों को सख्त सजा की, ताकि कोई और अनुज अगली बार इस सिस्टम की बर्बरता का शिकार न बने।