
सरकारी स्कूल की छत गिरने से बड़ा हादसा, 4 बच्चों की मौत, 17 घायल – सीएम और शिक्षा मंत्री ने जताया शोक
झालावाड़, राजस्थान | 25 जुलाई 2025
राजस्थान के झालावाड़ जिले से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है, जहां शुक्रवार सुबह पिपलौदी गांव स्थित एक सरकारी प्राइमरी स्कूल की छत अचानक ढह गई। इस भीषण हादसे में अब तक 4 मासूम बच्चों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 17 अन्य लोग घायल हुए हैं। कई घायलों की हालत नाजुक बताई जा रही है।
हादसे के वक्त स्कूल में नियमित कक्षाएं चल रही थीं। उसी दौरान अचानक छत भरभरा कर गिर गई, जिससे पूरा स्कूल परिसर अफरा-तफरी में बदल गया। घायल बच्चों की चीख-पुकार सुनकर ग्रामीण और आसपास के लोग तुरंत मौके पर पहुंचे और राहत-बचाव कार्य शुरू कर दिया। जेसीबी मशीन की मदद से मलबा हटाया गया। कई बच्चों को मलबे से बाहर निकाला गया।
झालावाड़ के पुलिस अधीक्षक अमित कुमार ने बताया,
> “आज सुबह करीब 10:30 बजे यह दुखद हादसा हुआ। हादसे में चार बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 17 अन्य घायल हैं। इनमें से 10 बच्चों को गंभीर हालत में झालावाड़ और कोटा के बड़े अस्पतालों में रेफर किया गया है।”
घटना पर नेताओं ने जताया गहरा शोक
राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने हादसे पर शोक जताते हुए कहा कि,
> “इस बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना की सूचना मिलते ही हमने राहत-बचाव कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। जिला प्रशासन को पीड़ित परिवारों को हरसंभव मदद उपलब्ध कराने को कहा गया है। घटना की हाई लेवल जांच कराई जाएगी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
वहीं, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी इस हादसे को अत्यंत हृदयविदारक बताते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (Twitter) पर लिखा,
> “झालावाड़ के पीपलौदी गांव में स्कूल की छत गिरने की घटना से स्तब्ध हूं। यह हादसा अत्यंत दुखद है। घायलों के समुचित इलाज के निर्देश दिए गए हैं। ईश्वर दिवंगत आत्माओं को शांति दें और शोकाकुल परिवारों को संबल प्रदान करें।”
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी ट्वीट कर दुख प्रकट किया। उन्होंने कहा,
> “झालावाड़ के मनोहर थाना क्षेत्र में हुए हादसे में कई मासूम बच्चों और शिक्षकों के हताहत होने की सूचना पीड़ादायक है। मैं प्रार्थना करता हूं कि घायलों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ मिले और जनहानि न्यूनतम हो।”
सवालों के घेरे में स्कूल की जर्जर इमारत
स्थानीय लोगों ने बताया कि पिपलौदी प्राइमरी स्कूल की इमारत लंबे समय से जर्जर हालत में थी, लेकिन प्रशासन द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया। कई बार शिकायतों के बावजूद भवन की मरम्मत नहीं कराई गई। अब यह हादसा प्रशासनिक लापरवाही की ओर इशारा करता है।
निष्कर्ष:
यह हादसा न सिर्फ प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि सरकारी स्कूलों की बदहाली पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। जर्जर भवनों में मासूम बच्चों की पढ़ाई करवाना सीधे तौर पर उनकी जान को जोखिम में डालना है। अब देखना होगा कि सरकार इस घटना से क्या सबक लेती है और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं।