
पत्रकार को दी गई जान से मारने की धमकी –
पूर्व विधायक गुलाब कमरो, कांग्रेस सहित पत्रकार संगठन ने की निंदा
जनकपुर/MCB
जनकपुर क्षेत्र में अवैध मुरूम उत्खनन के खिलाफ आवाज उठाने वाले पत्रकार को जान से मारने की धमकी देना अब एक गंभीर विषय है। जनकपुर के युवा पत्रकार शिवम प्यासी ने मुरूम उत्खनन के खिलाफ सबूत जुटाते हुए वीडियो और तस्वीरें खींची थीं, जिसे उन्होंने सोशल मीडिया पर सार्वजनिक कर दिया। इस खुलासे के बाद माफियाओं के होश उड़ गए।
वीडीओ देखे
मामले में पत्रकार शिवम प्यासी ने बताया कि जब वह मुरूम उत्खनन की वीडियो बना रहे थे, तभी मोनू पाठक नामक व्यक्ति ने उन्हें खुलेआम जान से मारने की धमकी दी। इस घटना का वीडियो स्वयं शिवम प्यासी ने सोशल मीडिया पर जारी किया है, जो तेजी से वायरल हो रहा है और क्षेत्र में सनसनी फैली हुई है।
पूर्व विधायक गुलाब कमरों ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “जनकपुर में आए दिन आपराधिक घटनाएं बढ़ रही हैं। पहले गोलीकांड और अब पत्रकार को जान से मारने की धमकी मिलना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यह दर्शाता है कि अपराधी बेखौफ हो चुके हैं और प्रशासनिक व्यवस्था कमजोर पड़ रही है।”
कांग्रेस प्रवक्ता सौरव मिश्रा ने भी की निंदा
भाजपा सरकार में प्रदेश के कई जिलों में खनिज माफियाओं ने मारपीट हत्या जैसी घटनाएं की है जिससे माफियाओं के हौसले बुलंद है जिले में खनिज माफिया द्वारा आम जनों एवं पत्रकारों को डराने धमकाने की घटनाएं आम हो चुकी हैं यदि जल्द ही गंभीरता से इस पर संज्ञान नहीं लिया गया तो कोई अप्रिय घटना घट सकती है
पत्रकार संगठनों में आक्रोश
शिवम प्यासी के साथ हुई इस घटना की नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन पत्रकार संगठनों ने कड़ी निंदा की है। संगठन ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि “पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तंभ हैं। उनकी सुरक्षा की अनदेखी समाज और देश दोनों के लिए खतरनाक है। इस मामले में त्वरित और सख्त कार्रवाई की मांग की है ताकि क्षेत्र में पत्रकारिता करने वालों को सुरक्षा का भरोसा मिल सके।
अवैध उत्खनन का पुराना इतिहास
जनकपुर क्षेत्र में अवैध मुरूम उत्खनन कोई नई बात नहीं है। पूर्व में भी कई बार यह मुद्दा सामने आया है लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते माफियाओं के हौसले बुलंद हैं। क्षेत्रीय जनता लगातार प्रशासन से मांग कर रही है कि ऐसे अवैध उत्खनन पर पूरी तरह रोक लगे और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
अब सबकी नजर प्रशासन पर
अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन पत्रकार शिवम प्यासी को सुरक्षा देगा?
क्या मुरूम माफियाओं पर नकेल कसी जाएगी? या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
जनता, पत्रकार समाज और जनप्रतिनिधि सभी प्रशासन की कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रहे हैं।